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हिंदुस्तान जिंक प्रदूषण से किसान उग्र, मुआवजे और जवाबदेही की मांग
PCPranay Chakraborty
Dec 18, 2025 12:31:09
Noida, Uttar Pradesh
चित्तौड़गढ़ जिले में आज हिंदुस्तान जिंक प्लांट एक बार फिर किसानों के गुस्से का केंद्र बन गया, जहां जिंक प्रबंधन की कथित लापरवाही ने हालात को विस्फोटक बना दिया। पुठोली स्थित हिंदुस्तान जिंक के मुख्य गेट पर आज उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया, जब अजोलिया का खेड़ा निवासी किसान परमेश्वर लाल जाट अपनी मृत भैंस को ट्रैक्टर में रखकर गेट पर पहुंचा और जिंक प्रबंधन के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया। प्रदर्शन के दौरान किसान ने खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की, जिसने जिंक की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। मौके पर मौजूद पुलिस ने हस्तक्षेप कर बड़ा हादसा टाल दिया, लेकिन इस घटनाक्रम ने साफ कर दिया कि हिंदुस्तान जिंक के प्रदूषण से त्रस्त किसान अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। हालात तब तक तनावपूर्ण बने रहे, जब तक जिंक प्रबंधन ने दबाव में आकर सात दिन में मुआवजे का आश्वासन नहीं दिया।
वीओ - 1
ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि हिंदुस्तान जिंक प्लांट से जानबूझकर छोड़ा जा रहा एसिड युक्त पानी आसपास के खेतों और जलस्रोतों में फैल रहा है। उनका कहना है कि जिंक प्रबंधन ने पर्यावरणीय नियमों को ताक पर रख दिया है, जिसके चलते कुएं और बोरवेल पूरी तरह जहरीले हो चुके हैं। इसी दूषित पानी के कारण पशुओं में “भूनेटिया” नामक रोग फैल रहा है, जिसमें पशु दो-तीन दिन तक तड़पती हैं और अंत में दम तोड़ देती हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यह बीमारी केवल जिंक के पेराफेरी क्षेत्र में ही पाई जा रही है, जो सीधे-सीधे प्लांट की भूमिका को उजागर करती है।
बाइट – परमेश्वर लाल जाट ............ किसान, अजोलिया का खेड़ा
वीओ - 2
ग्रामीणों का कहना है कि हिंदुस्तान जिंक द्वारा छोड़ी जा रही जहरीली गैस ने पूरे क्षेत्र को गैस चैंबर में बदल दिया है। आरोप है कि जिंक प्रबंधन प्रदूषण नियंत्रण के मानकों की खुलेआम अनदेखी कर रहा है। गैस के असर से पशुओं के मुंह में झाग आ जाता है, वे छटपटाते हैं और कुछ ही दिनों में उनकी मौत हो जाती है। किसानों का दावा है कि हर महीने 10 से 15 पशुओं की मौत केवल जिंक की जहरीली गैस की वजह से हो रही है, लेकिन इसके बावजूद न तो उत्सर्जन पर रोक लगाई जा रही है और न ही प्रभावित किसानों की सुध ली जा रही है।
बाइट – श्यामलाल मेनारিয়া ........... स्थानीय ग्रामीण प्रतिनिधि
वीओ - 3
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि हिंदुस्तान जिंक हर बार जांच और मुआवजे के नाम पर सिर्फ दिखावा करता है। पशुओं की मौत के बाद पोस्टमार्टम तो कराया जाता है, लेकिन रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं होती। आरोप है कि जिंक प्रबंधन के दबाव में प्रशासन और लैब रिपोर्ट तक प्रभावित होती हैं, जिससे सच्चाई सामने नहीं आ पाती। किसानों का कहना है कि जिंक जैसी बड़ी कंपनी अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए समय-समय पर सिर्फ आश्वासन देती है, जबकि जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।
बाइट – रविंद्र सिंह राणावत .......... प्रधान प्रतिनिधि, गंगरार पंचायत समिति
वीओ - 4
आज का घटनाक्रम हिंदुस्तान जिंक के प्रदूषण, लापरवाही और जवाबदेही से बचने की नीति को उजागर करता है। सवाल यह है कि क्या जिंक प्रबंधन केवल दबाव में आकर अस्थायी आश्वासन देता रहेगा, या फिर जहरीली गैस, दूषित पानी और मरते पशुओं की इस त्रासदी पर कोई ठोस और स्थायी समाधान निकालेगा। फिलहाल गंगरार क्षेत्र के किसान अपने पशुओं की जान बचाने और इंसाफ पाने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं।
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