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Chambal के भिंड में शूकरमुख मां बाराही देवी का अद्भुत मंदिर, चमत्कारिक मन्नतें पूरी
PSPradeep Sharma
Dec 15, 2025 04:08:03
Bhind, Madhya Pradesh
हेडर- चंबल अंचल के भिंड जिले में अनोखा मंदिर, मंदिर में विराजमान है शूकरमुख वाली मां बाराही देवी, 300 साल पुराना धरती से प्रकट हुआ मां का विग्रह। देवी के अलग-अलग कई स्वरूपों के बारे में अपने सुना होगा और दर्शन भी किए होंगे जिनमें जिनमे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, के अलावा अन्य स्वरूपों में दुर्गा काली लक्ष्मी और सरस्वती के अलावा देश के विभिन्न क्षेत्र में कई स्वरूप मैं लोक और कुलदेवियां मौजूद है भारत और भारत से बाहर 51 शक्ति पीठ है जिनमें अलग-अलग देवियां शक्ति के रूप में विराजमान है जिनके बारे में अपने सुना और देखा भी होगा लेकिन आज हम एक ऐसी देवी के बारे में बताने और दर्शन कराने जा रहे हैं, जो विराजमान है चंबल अंचल के भिंड जिले के गेन्थरी गांव के भव्य और विशाल मंदिर में, (सूकर) मुख वाली माँ बाराह देवी, कहां जाता है कि मां बाराह देवी लक्ष्मी स्वरुपा है और उनके दर्शन मात्र से दरिद्रता दूर होती और भक्ति भाव से मांगी गई मन्नत पूर्ण होती है, यहां पर एक और विशेषता है जहां मंदिर परिसर में मौजूद कुए पर स्नान करने से लोगों के चर्म रोग दूर हो जाते हैं, मंदिर पुजारी करण सिंह कौरव ने बताया कि 300 साल पहले संवत 1780 (1723) मैं पास ही के गांव मुरावली में रहने वाले उनके पूर्वज कुशाल सिंह कौरव ने तपस्या कर माँ बाराही ही देवी को प्रकट किया था, मां बाराही देवी का विग्रह धरती से प्रकट हुआ था जिसमें दो मूर्तियां निकली थी एक मूर्ति को कुसाल सिंह ने गेन्थरी गांव स्थित मठ में स्थापित कराया था जबकि दूसरी छोटी मूर्ति वह अपने घर ले गए जहां उसकी निरंतर पूजा हो रही है साथ ही कुशाल सिंह कौरव के परिजन पीढ़ी दर पीढ़ी मंदिर में वाराही देवी की पूजा अर्चना करते चले आ रहे हैं, 2021 में माँ बाराही देवी का छोटे से मठ का विशाल और भव्य मंदिर के रूप में उसे दौरान विराजमान माता के चबूतरे को ऊंचा करने का प्रयास किया गया लेकिन मां की मूर्ति तट से मस नहीं हुई जिस वजह से आज भी मंदिर में मूर्ति चबूतरे से गहरे स्थान में स्थापित है, कौरव समाज के लोग देश के कोने में कहीं भी बसे हो वह वर्ष में एक बार गेन्थरी गांव आकर मां बाराही देवी की पूजा अर्चना जरूर करते हैं, मां बाराही देवी की पूजा अर्चना खासकर कौरव समाज करता है लेकिन बाराही देवी की मान्यता इतनी है कि आसपास के इलाकों के सभी समाजों के लोगों की श्रद्धा मां के प्रति अटूट है और मां से सच्ची श्रद्धा से मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है, मंदिर की देखरेख कौरव समाज करता है, यह मंदिर केवल मां के प्रति आस्था का ही केंद्र नहीं बल्कि धार्मिक आयोजनों का एक बड़ा स्थल भी है यहां पर 2018 और 2000 में विशाल 101 कुंडली यज्ञ हो चुके हैं जिसमें लाखों की तादाद में श्रद्धालु शामिल हुए थे, वर्ष में एक बार मंदिर पर विशाल मेले का भी आयोजन किया जाना है, मंदिर कमेटी द्वारा गरीब कन्याओं की शादियां भी निशुल्क साल में एक बार अक्षय तृतीया को कराई जाती है जिसका खर्चा मंदिर कमेटी बहन करती है।
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