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अबूझमाड़ में नक्सलियों के पुनर्वास से स्व-रोजगार को बढ़ावा, शांति की दिशा
HSHEMANT SANCHETI
Dec 20, 2025 03:50:40
Narayanpur, Chhattisgarh
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में शांति और पुनर्वास की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा एक सराहनीय पहल की जा रही है। मुख्यधारा में लौटे आत्मसमर्पित नक्सलियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने लाहुलीवुड कॉलेज परिसर में पुनर्वास केंद्र स्थापित कर कौशल विकास प्रशिक्षण शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें स्वरोजगार से जोड़ना, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जीते हुए अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। पुनर्वास केंद्र के अंतर्गत संचालित कौशल विकास कार्यक्रम में अब तक 133 आत्मसमर्पित नक्सलली विभिन्न ट्रेड में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, जबकि वर्तमान में 110 आत्मसमर्पित नक्सलियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सिलाई, प्लम्बर, राजमिस्त्री और ड्राइंग जैसे रोजगारपरक कोर्स शामिल हैं, जो स्थानीय जरूरतों और बाजार की मांग को ध्यान में रखकर तय किए गए हैं। यह प्रशिक्षण न केवल तकनीकी दक्षता प्रदान कर रहा है, बल्कि आत्मसमर्पित नक्सलियों के आत्मविश्वास को भी मजबूत कर रहा है। कई प्रशिक्षार्थी अब अपने भविष्य को लेकर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं। जिला प्रशासन का मानना है कि कौशल विकास के माध्यम से आत्मसमर्पित नक्सलियों को स्थायी आजीविका से जोड़ना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। जिला कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाई ने इस पहल पर जानकारी देते हुए बताया कि आत्मसमर्पित नक्सलियों के जीवन में सुधार लाने के साथ-साथ उन्हें स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाना प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि अब तक 133 नक्सली प्रशिक्षण पूर्ण कर चुके हैं और वर्तमान में 110 नक्सली प्रशिक्षणरत हैं। इसके अलावा 70 आत्मसमर्पित नक्सलियों को प्रशिक्षण अवधि के दौरान भुगतान भी किया गया है, जिससे वे प्रशिक्षण के बाद अपना छोटा व्यवसाय शुरू करने में इस राशि का उपयोग कर सकें। कलेक्टर ने कहा कि यह पहल केवल आर्थिक पुनर्वास तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक पुनर्वास की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। जब आत्मसमर्पित नक्सली सम्मानजनक रोजगार से जुड़ते हैं, तो वे समाज की मुख्यधारा में लौटते हैं और क्षेत्र में स्थायी शांति का वातावरण बनता है। अबूझमाड़ जैसे संवेदनशील और दुर्गम क्षेत्र में इस तरह का पुनर्वास और कौशल विकास कार्यक्रम एक सकारात्मक संदेश दे रहा है। यह साबित करता है कि सही मार्गदर्शन, अवसर और समर्थन मिलने पर भटके हुए लोग भी नए सिरे से जीवन की शुरुआत कर सकते हैं। जिला प्रशासन की यह पहल नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास, विश्वास और बदलाव की एक नई कहानी लिख रही है।
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